आजादी
कल रात बिना प्याज लहसुन का मटन कोरमा खा कर! मटुक लाल जी गहरी निद्रा में सोए हुए थे, उनका थोथा
Read Moreयूँ तो हर तरफ बारिशों का पहरा है । फिर क्यों मन ये मेरा रेत का सेहरा है ।। इतना
Read Moreगीली धरती ,तपता मन। आग लगाता ,ये सावन।। सुगंध खोकर, खिले गुलाब। खुद से जलता,एक आफताब।। चाँद के संग बाटता,
Read Moreफिसलता है पल -पल मुट्ठी में रेत सा । गिर्दाब है! वक्त कभी ठहरता नही।। छुपता है हर रोज शाम
Read More“बंद दरवाजा” ये कहानी नही है ! और न ही रामसे ब्रदर्स की किसी फ़ीचर फ़िल्म का एक टाइटल ।
Read Moreआज दोपहर की धूप में पहले से कही ज्यादा तमनगी थी । सोंचा किसी सजऱ की छांव तले कुछ देर
Read Moreआज दोपहर की धूप में पहले से कही ज्यादा तमनगी थी । सोंचा किसी सजऱ की छांव तले कुछ देर
Read Moreपीर पथराई पिघल कर गीत बनने को विकल है, और नंगे घाव कहते हैं मुझे चादर ओढ़ाओ। जिंदगी! आधी सदी
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