हर पल घटता जीवन
बून्द-बून्द सी टपक रही है जिंदगी। हर पल हर दम रिश रही है जिंदगी। चट्टानों सा खुद को समझने वालों,
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Read Moreप्रिया एक समझदार लड़की है,जो बचपन से एक ऐसे माहौल में पली बढ़ी है जहां पर उसने हमेशा अपने बड़े
Read Moreवर्ष 1985 जब मैंने अपनी चौथी क्लास से पांचवी क्लास में प्रवेश किया।तकरीबन अप्रैल में हमारे परिवार के लिए एक
Read Moreवो जो किनारे पर बंधी है वो नैया मैं ही तो हूँ। हुनर मेरा तैरना,नाम होता माझी का,वो मैं ही
Read Moreकुछ ऐसी शख्सियत के मालिक तुम जो सदियों में आते है। सचमुच कीचड़ में सुंदरता से भरे कमल के फूल
Read More*_वो हुनर कहाँ से लाऊं,अब अपनी माँ कहाँ से लाऊं…….._* मिट्टी से आँगन लीपने का हुनर बस माँ को आता
Read Moreमेरे देश के युवा अब सही रास्तो को खो रहा है। देख के युवाओं की ये हालत,तिरंगा रो रहा है।।
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