ज़िंदगी
कुछ यूँ ज़िंदगी सता रही है खुद आगे बढ़ रही है मुझे ठोकरों और मुसीबतों में उलझा रही है, गुरूर
Read Moreमेरी ख़ुद से लड़ाई जारी है, जो देखा है सपना कुछ कर दिखाने की, अपने माता पिता के विश्वास को
Read Moreलगता था जैसे ज़िन्दगी में बस मायूसी है, तुमने मुझ जैसे अनाथ को जबसे अपना लिया, मानो जैसे मैंने जन्नत
Read Moreअक्सर जाती हूं उस जगह पर मैं, जिसकी मिट्टी से मेरा नाता है, होंगी हज़ार जगह घूमने के लिए, लेकिन
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