कविता

पिता जी

मेरी हिम्मत, मेरा सहारा, मेरा हौसला हैं पिता जी,
जब-जब हारी हूं तो मेरी हिम्मत बन कर मुझे सहारा देते हैं,
आगे बढ़ने की उम्मीद बुलंदियों को छूने का हौसला देते हैं।
मां ने अगर सही और गलत में फर्क समझाया,
तो पिताजी ने सही रास्ते पर चलना सिखाया।
मां ने जिंदगी के हर मोड़ पर जीतने की उम्मीद दी,
तो पिताजी ने हारने पर मेरे अंदर हिम्मत और आगे बढ़ने का हौसला दिया।
पिता अपने बच्चों की हिम्मत हैं,
जब सब साथ छोड़ जाते हैं तो पिता अपने बच्चों की हिम्मत बन जिंदगी में आगे बढ़ने का हौसला देते हैं,
कहते हैं कि सृष्टि का निर्माण भगवान ने किया है,
सुख हो या दुख सब प्रभु की देन है,
मैंने ना देखा कभी इस सृष्टि के रचयिता को,
पर जानती हूं सिर्फ उस पिता को जिसके होते हुए कोई बच्चा निराश नहीं होता,
फिर चाहे वह कोई चीज हो या हमारे सपने सब साकार हो जाते हैं,
पिता के साये में हर बच्चा अपनी मंजिल को तय कर बुलंदियों को छूकर आसमां की उड़ा भर पाते हैं।
— निहारिका चौधरी

निहारिका चौधरी

खटीमा (उत्तराखंड)