लघु नाटिका- माँ की पुकार
स्थान: एक गाँव और सेना का शिविर पात्र: 1. अर्जुन – एक युवा सैनिक 2. अर्जुन की माँ – देशभक्त
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Read Moreशहर के इस कोने में रोज़ ही भीड़ उमड़ती थी—ऑफिस जाने वालों की तेज़ रफ्तार, सब्ज़ी वालों की आवाज़ें, और
Read Moreलेखनी तू खुलके बोल हिय तराजू तौल बोल,असंख्य प्रतिबिंब धरे तेरा जीवन है अनमोल। प्रखर प्रताप हिय समाये कुंठाओं में
Read Moreमनुष्य का मस्तिष्क दो तरह से कार्य करता है। एक सकारात्मक रूप में दूसरा नकारात्मक रूप में। इन दोनों में
Read Moreजब होती थी मैं उदास तब ये लगाती थी मुझे गले आज इसको गले लगाकर जीवन का आनंद पा लिया।
Read Moreचाह नहीं प्रभु महलों की तुम सैर कराओ। चाह नहीं प्रभु पुष्प रथ पर तुम चढ़ाओ। चाह प्रभु सिर्फ इतनी
Read Moreआओ अमृत महोत्सव मनाएं हम सीखें दुनिया को सिखाएं। बुनकर संस्कृति ताना-बाना सुंदर भारत आदर्श दिखाएं। निद्रा से जागे सर्वप्रथम
Read Moreपगडंडी के सहारे… रेत के कुछ कणों को, हवा इतनी दूर ले गई कि रेत अपना वजूद खोकर बिछ गई
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