कविता : सिर्फ प्यार ही रहेगा
यह घर मेरा, यह मकान तेरा । दुकान, जमीन हीरा,पन्ना, सोना, चांदी रूपया-पैसा, धन दौलत मेरा-तेरा करके अपने-पराये होकर लड़ना-
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Read Moreपत्थर तोड़ती मैं कर्मठ नारी , मत समझो मुझको बेचारी । सीने में दिल मैं भी रखती हूँ, बिटिया मेरी
Read Moreचार दिन के प्रवास पर में दिल्ली आई थी लाजपत नगर के एक होटल में रूकी थी । होटल की
Read Moreचल रहा कलयुगी दौर, कब होगी जीवन की भोर। अंधाधुंध सब दौड़ रहे हैं, फैशन को सब ओड़ रहे हैं।
Read Moreमुट्ठी भर सबल नारियों से, नारी नहीं हो सकती सबला। देखो जाकर हर गली मोहल्ले, नारी की क्या हो रही
Read Moreमत मारो कोख में मुझे, मैं भी जीना चाहती हूँ माँ ! सपनो के सुंदर पंख लगा मैं भी उड़ना
Read Moreचौराहे पर खड़े हुए कुछ पलों में , महसूस किया मैंने – आज हर कोई प्यासा है । किसी को
Read Moreमाँ पूछती अपने लाल से, लगता तू बहुत ही उदास । मत चिंतित हो मेरे लाल, अब तेरी माँ है
Read Moreतुमने माँ का कर्ज चुकाया, हो तुम माँ के सच्चे लाल। सीमा पर दिखाई हिम्मत, परिवार का है नहीं मलाल
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