कविता : वात्सल्य
माँ पूछती अपने लाल से,
लगता तू बहुत ही उदास ।
मत चिंतित हो मेरे लाल,
अब तेरी माँ है तेरे पास ।
निश्चिंत निष्कलंक तू रहना,
तेरा जीवन मेरा गहना ।
आ तेरी सब बलाएं ले लूँ ,
जीवन भर की खुशियाँ दे दूँ. ।
है तू ही मेरा हीरा- मोती ,
तू ही है आँखों की ज्योति ।
तुझ में बसता मेरा संसार,
वरना जीवन है निस्सार ।
है तू मेरे हृदय का टुकड़ा,
तू ही है चाँद. का मुखड़ा ।
आ तुझको मैं गले लगा लूँ,
जीवन अपना अर्पण कर दूँ. ।
माँ बच्चों का प्यार अनोखा,
है नहीं कोई उसकी अभिलाषा ।
है चीर हृदय देख लो माँ का,
लिखी होगी उसमें परिभाषा ।
— निशा गुप्ता
अच्छी कविता !
अच्छी कविता !