कविता – नेट पर सेट
नेट पर मैं हमेशा सेट रहती हूँ पड़ोस में क्या हुआ नहीं जान पाती हूँ ? घर में पति और
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Read Moreपैतृक गांव के श्मशान घाट से घर लौट कर आते समय ही रमेश का फोन बजा । उसने फोन कान
Read Moreआज का प्रेम दिवस सिर्फ बिस्तर तक ही सीमित है . चौराहे पर कहा कहा करता बच्चा उसका उदाहरण है
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