कविता प्रवीण माटी 13/08/201813/08/2018 आहिस्ता बारिश की बौछारों में जब सुबह सुबह खिड़की खोली तो बरामदे में शहतूत से बँधी उस तार को देखा जिस Read More
कविता प्रवीण माटी 13/08/2018 लड़की हुई है! जिंदगी के घाव जब दर्द देते हैं तो मरहमपट्टी भी चुभने लगती है चोटों के निशान जिंदगी के भयावह Read More
कविता प्रवीण माटी 27/06/2018 एहसास पहली बार मिले थे ,तब मैं तुम्हें बस देखता रहा उस समय मेरा ख्याल था, कि तुम्हें मैं अपनी आंखों Read More
कविता प्रवीण माटी 27/06/201828/06/2018 नींद नींद उचट गई है , बारिश की बूंदे भीनी भीनी आसमान से छिटक रही है सवाल था बूंदों से मेरी Read More
कविता प्रवीण माटी 19/06/2018 पाठशाला छटपटाहट देखी सरकारी चोरों की कहने को अध्यापक कहलाते गरिबों का आटा तक खा जाते अध्यापन मात्र एक स्वप्न यहाँ Read More
कविता प्रवीण माटी 19/06/2018 पिता मेहनतकश को पूजता पसीने से सराबोर जब देखता है मुस्कुराहट अपने नौनिहाल की तो छिटक देता है पसीना माथे से Read More
कुण्डली/छंद प्रवीण माटी 06/05/2018 होगा खोल के रख दी है संदूक दिल की मेरे पास अब छुपा हुआ राज क्या होगा? मौत से हमदर्दी है Read More
क्षणिका प्रवीण माटी 06/05/201808/05/2018 ऊँचे ऊँची ईमारतें ऊँचे लोग जमीन पर रह गये बस भूखे लोग चढावा सोने-चांदी का अष्ट मिठाई का भोग पेड़ियों पर Read More
गीतिका/ग़ज़ल प्रवीण माटी 06/05/2018 बदल गया लोग बदल गये हैं ,लोगों का मिजाज़ बदल गया है पैसा हर जख्म की दवाई,जीने का रिवाज बदल गया है Read More
कविता प्रवीण माटी 06/05/2018 मजदूर बड़े-बड़े मंचों पर भाषण दिये बड़े-बड़े मजदूर दिवस पर मोटे-सूखे नेताओं ने पंडाल बनाते वक्त घायल मजबूर ने पत्नी Read More