षड्यंत्र
सत्ता का षड्यंत्र जारी है अहम एक बड़ी बिमारी है हम तो रह गए भोले-भाले आँखों की पट्टी अभी उतारी
Read Moreयादों के सहारे पत्थरों की मुरत पत्थरों की मिनारें समंदर उफान भरता हुआ मैं, मौन धारण बैठा किनारे कुछ रास्तों
Read Moreबिकता नहीं मोहल्ले मेंये इंसान अखबारों की तरहासजता नहीं झूठे,फरेबीबाजारों की तरहाक्या हुआ जो अंधेरा घना हैमंजिल वाले रास्ते मेंटिमटिमाता
Read Moreमौसम का क्या बदलना इधर लोग बदल जाते हैं बना कर तमाशा गली में लोग यूं ही निकल जाते
Read Moreपूछ रहा हूं सब से कि मैं ढूंढ रहा हूं खुद को कहां हूं मैं ? क्या मैं जीवित हूं
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