गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 11/06/2016 ग़ज़ल यूँ पानी में जरा चाँद उतरने तो दीजिए बाहों में इसका अक्श भरने तो दीजिए। रेशमी जुल्फों मे सबनम है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 26/05/2016 ग़ज़ल मेरी पाक मोहब्बत का इम्तहान है जो जख्म दे रहा है वही मेंरी जान है। दिल को गुरूर ऐसा उसपर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 23/05/2016 ग़ज़ल आसमा के चाँद पर हो कहीं मेरे घर की ज़मीं चाँदनी बिखरी हो हरसूँ तारों से हो छत सजी । Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 12/05/2016 ग़ज़ल सफर में चल दिए हैं लौट आना भी मुश्किल है इधर आना मुश्किल है उधर जाना मुश्किल है। दरिया समझ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 12/05/2016 ग़ज़ल ये दिल तो दीवाना है इसे अब कौन समझाए ये मुमकिन है तुम्हारी बेवजह याद आ जाए । कभी गुजरूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 10/05/2016 ग़ज़ल ज़ख़्म पर ज़ख़्म दिए जाते हो कितने अहसान किए जाते हो । दिल पहले ही ले चुके हो तुम और Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 07/04/201606/04/2016 ग़ज़ल उसीकी आँख रोई थी वो जब रोका नहीँ उसने चले आए निकलकर दूर हम टोका नहीँ उसने। अगर करते इशारा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 06/04/2016 ग़ज़ल बात कुछ ऐसी हो जो दिल को दुखाती चले दर्द ए उल्फत की हर रस्म अब निभाती चले । वो Read More