गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 12/06/2018 ग़ज़ल-2 इन आंखों में माना समंदर छुपा है छुपेगी कहां दिल की ये बेकरारी । तू फिर सितम पे सितम आजमा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 12/06/2018 ग़ज़ल रिश्तों के लिए खुदको बदलते चले गए शोला थे मोम बनके पिघलते चले गए। आह से वाह की तासीर कम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 23/05/2018 ग़ज़ल ये न सोचो कि हम पराए हैं तेरी खातिर जमी पे आए हैं। एक पल के लिए करीब तो आ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/05/2018 ग़ज़ल 2 दिल से दिल की लगी छुपाने के लिए ज़ख़्म ए दिल छुप छुप नहीँ धोता कोई । ख्वाब ने नींद Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/05/2018 ग़ज़ल 1 सुन तेरे पास आने को जी चाहता है फिर गले से लगाने को जी चाहता है। मोहब्बत में हद से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 16/05/201816/05/2018 ग़ज़ल २ कबतक जीवन पूरा होगा, फिर कब जनम दुबारा होगा कबतक यूं ही तडपेंगे हम, कब दीदार तुम्हारा होगा। जाने कितने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 16/05/2018 ग़ज़ल १ कहाँ कोई देखता है हाथ में कैसे निवाले हैं लहू बहता है पानी सा मेंरे हाथों में छाले हैं । Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 16/04/2018 ग़ज़ल हर सितम हर अलम है गवारा मुझे साथ जब से मिला है तुम्हारा मुझे। ज़िंदगी अब हमें रास आने लगी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 10/03/201811/03/2018 ग़ज़ल तमन्ना उसकी की है जो कभी हासिल नहीं होगा कभी कश्ती की बाहों में कोई साहिल नहीं होगा जला दूँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 15/02/2018 ग़ज़ल आज की रात ये बोलो कि कटेगी कैसे टूटा है दिल सांस सीने में रुकेगी कैसे सो गईं थककर तन्हा Read More