गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 03/11/2018 ग़ज़ल मेरे दिल से मोहब्बत का जनाजा आज निकलेगा मुझे मालूम है मुझसे संभाले दिल ना संभलेगा किया है ये फैसला Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/10/2018 ग़ज़ल हंसाती है रुलाती है हमेशा आजमाती है जिंदगी है बड़ी संगदिल मगर जीना सिखाती है जब दर्द की हद हो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/09/2018 ग़ज़ल छलक जाती हैं याद करके ये तुम्हें अक्सर प्यार इन आंखो से छुपाया न गया। बात आकर कहीं रुक जाती Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 19/08/2018 ग़ज़ल बड़े नादा है वो इतना भी जानते ही नहीं किसीके दिल में यूं ही जगह नहीं मिलती। शम्मा जलने का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 13/08/2018 ग़ज़ल : यह कौन मेरी राह से काँटे हटा गया यह कौन मेरी राह से काँटे हटा गया कदमों के तले कौन भला दिल बिछा गया। ये किसकी सदा है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/07/201818/08/2018 ग़ज़ल 2 जुबां ने बात बहुत कर ली है मगर कुछ तो खामोशियों को कहने दो। अभी सीने में ये सांस चलती Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/07/2018 ग़ज़ल 1 यहां लगता नहीं है दिल अपना आओ हम दोनों कहीं और चलें। जहाँ खुशबू वफा की आती हो जहां चाहत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/06/2018 ग़ज़ल ये प्यार एक दिन मुझसे मेरी जान मांगेगा ग़म देकर मुझको ये मेरी मुस्कान मांगेगा। खामोशियों की हथकड़ी जब दिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 12/06/2018 ग़ज़ल-2 इन आंखों में माना समंदर छुपा है छुपेगी कहां दिल की ये बेकरारी । तू फिर सितम पे सितम आजमा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 12/06/2018 ग़ज़ल रिश्तों के लिए खुदको बदलते चले गए शोला थे मोम बनके पिघलते चले गए। आह से वाह की तासीर कम Read More