जिसे हक़ नहीं
मैं गर्भ से हूँजल्द ही बियाऊँगीअपनी जैसी…एक हाड़-मांस की पुतली जिसे तपाकर, गलाकर बेड़ियों के सांचे में ढालकर …परम्पराओं की
Read Moreमैं गर्भ से हूँजल्द ही बियाऊँगीअपनी जैसी…एक हाड़-मांस की पुतली जिसे तपाकर, गलाकर बेड़ियों के सांचे में ढालकर …परम्पराओं की
Read Moreअब नही जायेगी अनिता स्कुल नही चहकेगी घर के आंगन में किसी चिड़िया की तरह नही बिनेगी माँ संग मँहुआ
Read Moreन आना लौटकर कि… रोशन हो चुका है मेरे अंतस का कोना -कोना बिन तुम्हारे । न आना लौटकर कि….
Read Moreकभी -कभी लगता …है जी भर रो लूँ ताकि …..बहा ..सकूँ आँसुओं संग तुम्हारी मोहब्बत… की तपिश और दे आँऊ तिलांजलि तुम्हारी कड़वी
Read Moreफड़फड़ा रहे हैं मेरे पंख चीख रही है मेरी आत्मा घुट रही है सांसें जी चाहता है तोड़ डालूँ सारे
Read Moreथी कभी मै तुम्हारे लिए हिम पर्वत जो पिघल जाया करती थी तुम्हारे प्यार की हल्की सी चिंगारी से ……
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