Author: *प्रमोद दीक्षित 'मलय'

भाषा-साहित्य

विश्व रंगमंच दिवस – रंगमंच को संवारने के संकल्प का दिन

नाटक दर्शकों को प्रेम, रहस्य, रोमांच, हर्ष, खुशी, आत्मीयता और सौंदर्य की उस ऊंचाई पर ले जाता है जहां वे

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सामाजिक

सूने हैं पनघट और प्यासे हैं पोखर-ताल

संस्कृत वांग्मय का आंगन जल-महात्म्य के श्लोंको-ऋचाओं से परिपूर्ण है। आप: वंदे मातरम् कह कर प्राणिमात्र के पोषण के लिए

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पुस्तक समीक्षा

रोचक एवं मनमोहक संस्मरणों की पोटली है स्मृति की खिड़की

एक पाठक के तौर पर संस्मरण मुझे हमेशा आकर्षित करते रहे हैं। एक तो यही कि संस्मरण पढ़कर सम्बंधित व्यक्ति

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सामाजिक

गीतों में घुली है लोकजीवन एवं माटी की सोंधी महक

गीत जीवन्त समाज के परिचायक होते हैं। समाज-जीवन एवं लोक व्यवहार में गीत रचे-बसे हैं। समाज में धार्मिक संस्कारों का

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