प्रेम के दो मोती
आँखों के सामने माया का वही खिलखिलाता हुआ चेहरा बार-बार आ-जा रहा था। इतनी पुरानी घटना, वह आज तक नहीं भूल
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Read Moreधूप-छाँव के बीच जीवन का उत्सव मनाते पल्लवी के बाबूजी और माँ उम्रदराज हो गये, पता ही न चला ! दोनों
Read Moreरोज की तरह आज भी आठ वर्ष का चुनमुन आटे की गोलियों की पोटली लिए अपनी आई के साथ जल्दी-जल्दी गंगा
Read Moreआठ वर्ष का प्यारा सा, भोला सा चन्दन भी उन बच्चों के बीच आचार्य जी से संगीत सीखना चाहता था !
Read Moreगहरी ख़ामोशी के साये में वह जीने लगी थी ! क्या अपराध किया था उसने ? ऐसा क्यों हुआ उसके साथ
Read Moreकई वर्षों पूर्व लोगों के मन में योग के लिए ये अवधारणा थी कि योगाभ्यास केवल उन लोगों के लिए है
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