लघुकथा

लघु कथा – हौसले के पंख

गहरी ख़ामोशी के साये में वह जीने लगी थी ! क्या अपराध किया था उसने ? ऐसा क्यों हुआ उसके साथ ? बहुत सारे सवाल उठते थे उसके मन में ! बाईस वर्षीय सुवर्णा ने अपने सहपाठी के प्रेम निवेदन को स्वीकार न करने का अपराध जो किया था ? उसकी सजा, उसे एक दिन सड़क पर जाते हुए उसके चेहरे पर तेज़ाब डाल कर, उसके चेहरे के सौन्दर्य को ही नहीं मिटा के बल्कि निराशा के समुंदर में डूबने के लिए धकेल कर दिया था ! विधाता ने उसे फुर्सत से गढ़ा था ! रेशमी पलकों में सजी नीली सी आँखें और उज्जवल चाँदनी बिखेरता, मुस्कुराता निर्दोष सा चेहरा सब को मुग्ध कर देता था ! जो अब सब कुछ स्वाहा हो गया था ! बिना पानी की मछली की तरह वह तड़प रही थी ! न जाने कितनी सर्जरी और लाखों रुपये के खर्च के बाद भी उसका चेहरा ठीक न हो सका ! पर अभी उसकी जिन्दगी बाकी थी !

तन मन की पीड़ा में डूबी सुवर्णा ने न जाने कैसे अपने आपको उबारा ! अचानक उसका सशक्त अन्तर्मन आकर उसके कंधे से कंधा मिलाकर उसका साथ देने लगा और सुवर्णा की शक्ति बन गया ! उसने जान लिया था कि मन की सुन्दरता ही सर्वोपरि है, तन की सुन्दरता अस्थाई है और जीवन बहुत बहुमूल्य है, जिसके एक – एक पल को प्यार से जीना है !

अब सुवर्णा इस सदमे से उभर कर अपने जीवन की सरगम पर गुनगुनाती हुई चल पड़ी ! उसने अपनी गायन प्रतिभा से अपने जीवन की सांसों व आस पास के माहौल को सँवार कर संगीतमय कर दिया ! जो भी उसके सुमधुर कंठ को सुनता वो मुग्ध हो जाता ! वह लोगों को संगीत का प्रशिक्षण देने लगी ! संगीत की दुनिया में उसका नाम रौशन होने लगा था ! और सुवर्णा हौसले के पंख लगा कर ऊँची उड़ानें भरने लगी !

प्रेरणा  गुप्ता, कानपुर

प्रेरणा गुप्ता

१- नाम - प्रेरणा गुप्ता २- जन्म तिथि और स्थान - ५ फरवरी १९६२, राजस्थान ३ -शिक्षा - स्नातक संगीत ४ - कार्यक्षेत्र - संगीत ,समाज सेवा ,आध्यात्म और साहित्य ५ -प्रकाशित कृतियाँ - कुछ रचनाएँ पत्र - पत्रिकाओं एवं वेब पर प्रकाशित ६ - सम्मान व पुरस्कार - गायन मंच पर ७ - संप्रति - स्वतंत्र लेखन ८ - ईमेल - prernaomm@gmail.com