माँ काली
अजब रूप माँ कालिका, दिखती है विकराल। टूट पड़े गर दैत्य पर, बन जाती है काल।। एक हाथ खप्पर धरे,
Read More“अभी तक खेत से माँ-बाबूजी दोनों नहीं आये हैं। कम से कम माँ को तो
Read Moreठुमक–ठुमक आए कन्हैया, देखो नटखट है नंदलाल, छम–छम छम घुंँघरू बाजे,
Read Moreसूखे पत्तों से ये रिश्ते, देखो कैसे फिसल रहे हैं। लोभ दिखा थोड़े पैसों का, अमरबेल सा छिछल रहे हैं।।
Read Moreरिमझिम बारिश की ये बूंँदें, धरती पर आती। नयी कोपलें विकसित होतीं, रहती
Read Moreबहुत पुरानी बात है। बोरसी नामक एक घना जंगल था। वन की दक्षिण दिशा में किरवई नदी बहती थी। नदी
Read Moreसड़क किनारे बिजली खंभे। पड़ते बच्चे लगे अचम्भे।। शहर शहर अरु गांँव गांँव में।खड़े रहे ये एक पांँव में।। वायर
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