बालकहानी : सोना समझ गयी
“मैं बहुत थक गयी हूँ। अब एक कदम भी नहीं चला जाता है मुझसे। सुबह से शाम तक बस; सिर्फ
Read More“मैं बहुत थक गयी हूँ। अब एक कदम भी नहीं चला जाता है मुझसे। सुबह से शाम तक बस; सिर्फ
Read Moreइक दूसरे को देख कर, पीछे उसी के भागते। आगे रहे उनसे सदा, लिप्सा भरे वे जागते।। राहे बुरे भी
Read Moreहमारा छत्तीसगढ़ धर्म और आध्यात्म का विशेष स्थल है; जहाँ देवी-देवताओं का वास होता है ; स्वंयभू भगवान भोलेनाथ की
Read Moreनरेश कक्षा आठवीं का छात्र था। उसकी दो बहनें थीं- जयंती और नंदनी। वह सबसे छोटा था। माँ-बाप खेती-किसानी करते
Read Moreशिक्षक शिक्षा देते हम को, जीवन ज्योति जलाते। अज्ञानी को राह दिखाते, आगे उसे बढ़ाते।। इधर उधर की बातें छोड़ो,
Read Moreपल पल का वो साथ हमारा, इक दूजे सँग रहते थे। छोटी मोटी हर बातों को, खुलकर दोनों कहते थे।।
Read Moreकुकड़ूँ कूँ आवाजों से हम, सब को सुबह जगाते हैं। कुछ दिन की जिंदगी हमारी, फिर भी मारे जाते हैं।।
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