मुर्गों का दर्द
कुकड़ूँ कूँ आवाजों से हम, सब को सुबह जगाते हैं। कुछ दिन की जिंदगी हमारी, फिर भी मारे जाते हैं।।
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Read Moreजंगल में गरमी बढ़ जाने के कारण सारे पशु-पक्षी बहुत परेशान हो रहे थे।
Read Moreकरते सभी विवाह को, बाँध प्रेम की डोर। इक दूजे का साथ हो, छूटे कभी न छोर।। बेटी होती लाडली,
Read Moreलगते ही बैसाख में, आता है त्यौहार। अक्षय तिथि के दिन सखी, छाये खुशी अपार।। इस दिन शुभ होता सखी,
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