ग़ज़ल
जब क़लम उठाते हैंबस लिखते जाते हैं जो चाहता हो हमकोउसमें ही समाते हैं करते हैं सृजन ऐसाजगती को जगाते
Read Moreढूंढ़ते रहते हो दर-ब-दर जिसको तुमरुख़ से ओझल वो तुम्हारी हँसी हूँहाँ मैं परी हूँ ख्वाबों खयालों उजालों की चाहत,लबों
Read Moreवो शिव हैं, वो सत्य हैं, वो ही पालनहारदेवाधिदेव हैं महादेव वो जगत के आधारहै भस्म अंग, गल भुजंग वो
Read Moreमुस्कुराहट साथ है अगर है गीतप्यार है जिस ओर, बस उधर है गीत है लगन कोई तो फिर महसूस होवरना
Read Moreअजन्मी थी मैं जब किया होगा प्रथम संवाद मां की याद है मुझे जबसे है अपनी याद मौन की शक्ति
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