कब आओगे
वो मानव क्या जिसमें ना हो कोई करुणा जो प्रेम रहित हो जिसमें केवल बसी घृणा एक सदी से रहे
Read Moreख़ुद रूठती, मान भी ख़ुद जाती हैं आँखों से झरते टेसू, ख़ुद पोंछती हैं सचमुच देखो बड़ा ड्रामा करती हैं
Read Moreसुनो ये जो ज़िन्दगी जी रहे हो तुम क़दम क़दम पे आँसू पी रहे हो तुम सजाकर के यादों के
Read Moreतुम्हीं तुम बसे मेरे मन में हो तुम ही प्रतिपल जीवन में हो मैंने ढूंढा जिसे सदियों यहाँ वो तुम्हीं
Read Moreअवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ खिले जो पुष्प चरण रज पा हर्षाईं कलियाँ चौदह बरसों का वन
Read Moreमुझमें कोई भेद नहीं छोटे और बड़े का ना ही कहीं रहे आधा कोई वर्ण अकेला मैं हूँ माँ भारती
Read Moreहम सभी जानते हैं कि हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं । 15 अगस्त भारत देश के लिए
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