ज़िन्दगी का पल
मुस्कुरा के मिले जहां दिल नहीं मिलता.. छोड़ो अब यूँ तकल्लुफ हमसे नहीं निभता.. महफिलों की ज़िन्दगी बड़ी झूठी होती
Read Moreमुस्कुरा के मिले जहां दिल नहीं मिलता.. छोड़ो अब यूँ तकल्लुफ हमसे नहीं निभता.. महफिलों की ज़िन्दगी बड़ी झूठी होती
Read Moreछिपती नहीं घर क़ी तन्हाई! मैंने घर मे कहाँ ना छुपाई.. कभी नकली फूल कभी,, बिछा ली फर्श पर चटाई..
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