बेटी नहीं बचाओगे, तो बहू कहाँ से लाओगे?
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम ने बेटे को प्राथमिकता देने के मुद्दे पर सफलतापूर्वक जागरूकता बढ़ाई है, लेकिन अपर्याप्त कार्यान्वयन
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Read Moreबजट में प्रत्यक्ष सब्सिडी की तुलना में वित्तीय सहायता को अधिक प्राथमिकता दी गई है, जिससे यह सुनिश्चित होता है
Read Moreआगरा/हिसार। हिन्दी भाषा और लेखन के क्षेत्र में समर्पित लेखकों का मान-सम्मान करना आज के समय में दुर्लभ हो गया
Read Moreहालिया वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि ग्रेड III के विद्यार्थियों ने अपने पढ़ने के कौशल
Read Moreबात करना बहुत ज़रूरी है, साथ ही ज़रूरत पड़ने पर दयालु होना भी ज़रूरी है। जितना हो सके अपने बच्चे
Read Moreकेंद्रीय बजट 2025 ऐसे महत्त्वपूर्ण समय पर आ रहा है, जब भारत की आर्थिक वृद्धि चार वर्षों में अपने सबसे
Read Moreबढ़ते एकल परिवारों ने हमारे समाज का स्वरूप ही बदल दिया। आजकल के बच्चों को वो संस्कार और अनुशासन नहीं
Read Moreएक पौराणिक शहर की सीमाओं पर विचार करना चाहिए, जिसे अपनी धार्मिक विरासत को बनाए रखते हुए आठ करोड़ लोगों
Read Moreडब्ल्यूएचओ, जिसके लिए यह 1948 में अपनी स्थापना के बाद से जाना जाता है, अमेरिका के हटने के परिणामस्वरूप निम्न-गुणवत्ता
Read Moreभारत के गणतंत्र की, ये कैसी है शान।भूखे को रोटी नहीं, बेघर को पहचान॥ सब धर्मों के मान की, बात
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