तेरी आंखों में
कहां हो निगाहें करम ढूंढते हैं। तुम्हें रात दिन हर कदम ढूंढते हैं। अभी तो दिखाई दिये मेरे ज़ानिब, निगाहों
Read Moreकहां हो निगाहें करम ढूंढते हैं। तुम्हें रात दिन हर कदम ढूंढते हैं। अभी तो दिखाई दिये मेरे ज़ानिब, निगाहों
Read Moreकोमल है असहाय नहीं है शक्ति का संधान है तू आत्मरक्षिता अटल शिखर सी स्वयंसिद्धि संज्ञान है तू बढ़ते जाना
Read Moreतू न आया मौसमेँ गुल फिर से आ गया यादों का नशा फिर से मेरे दिल पे छा गया कलियों
Read Moreहर काज में होवे तुम्हरा मनन , शंकर के सुत गिरिजा के ललन। तुम्हरे सुमिरन टल जाए विघन , शंकर
Read Moreमौसम-ए-इश्क है, उसपे ये बरसता सावन। आभी जाओ के है, मिलने को तरसता सावन। छुप गया चाँद, घटाओं के शोख
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