ज्ञानचंद की भूख
जो धोखा खा संभलने को तैयार नहीं,दलदल से जो निकलने को तैयार नहीं,खुद ने कभी नहीं चाहा एकसूत्र में बंधना,पर
Read Moreजो धोखा खा संभलने को तैयार नहीं,दलदल से जो निकलने को तैयार नहीं,खुद ने कभी नहीं चाहा एकसूत्र में बंधना,पर
Read Moreहां वो जूझते आया हैप्रारंभ से आज तक औरअनवरत जूझ ही रहा है,लचर व्यवस्था से,सरकारी नीयत से,सीमित नहीं है उनका
Read Moreये जिंदगी है जनाबजिन्हें अपना सफरअनवरत जारी रखना होता है,जहां जिंदगी ठहर जाएवहां सफर खत्म करना होता है,सिलसिला विभिन्न चक्रों
Read Moreदेशभक्ति होता हर नागरिक का गुण,हर कोई हो नहीं सकता इसमें निपुण,सैनिक ताउम्र अपनी जिम्मेदारी निभाता है,वक्त आने पर अपनी
Read Moreकैसे भूल सकते होइतिहास की बातों को,जाति के नाम पर पड़ेघूसों और लातों को,ये मत भूलो किआज भी उनके मोहरे
Read Moreबोझिल बेरंग जिंदगी मेंएकमात्र रंग शिक्षा ही है,सरकारों का रवैया दर्शाता है किमुफ्त में दे रहे भिक्षा है,ये कैसा गुणवत्ता
Read Moreमलबों से अटा पड़ा है सारा शहर,गांव,पनघट,गली-गली,डगर-डगर,ये मलबे है झूठी खबरों के,एक रंग में दिखना चाहते चितकबरों के,इनसे परेशान हैसारा
Read Moreआओ तुम्हारे रग रग में चिंगारी भर दूं,शबनम से बदल तुझे शोला मैं कर दूं,समय नहीं रहा अब चुपचाप सुनने
Read Moreये सरकारी स्कूल,जहां होगा परिवर्तन आमूलचूल,होगा जहां मित्र गुरू रूप मूल,आओ सरकारी स्कूल,नहीं होगी जो आपकी भूल,पाओगे शिक्षा का स्वरूप
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