व्यंग्य कविता – चल जल्दी इस लाइन में
कोशिश कर तो सहीकुछ अच्छा सोचने की,कब तक उलझे रहोगेवहीं पीछे धकेलते दकियानूसियत में,पढ़ नहीं सकते,सोच नहीं सकते,तो निकल इस
Read Moreकोशिश कर तो सहीकुछ अच्छा सोचने की,कब तक उलझे रहोगेवहीं पीछे धकेलते दकियानूसियत में,पढ़ नहीं सकते,सोच नहीं सकते,तो निकल इस
Read Moreजन जन का कल्याण करो,हे नेताजी उद्धार करो,उद्धार करो,जन मन गण अधिनायकों कासब कुछ हो तुम्हीं स्वीकार करो,हिस्सा खाने,भृकुटि ताने,बने
Read Moreउन्हें लगा किमूर्ति की आंखों में पट्टी होने के कारण,नहीं हो रहा समस्या निवारण,वो बिना देखे न्याय नहीं कर पा
Read Moreमुस्कुरा लो यार तलब न दबाओ,हर एक क्षण खुश नजर आओ,इसके फायदे एक नहीं अनेक है,महत्व इसका बहुत ही विशेष
Read Moreएक पत्थर से जैसे ही उसने ठोकर खाया,उस पाषाण को उसने उठाया,हृदय और माथे से लगाया,और बोला कि अच्छा हुआ
Read Moreबड़े गुस्से से वो निकले थेपूरे लाव लश्कर के साथउस मतदाता केहाथ पांव तोड़ने,तभी चुनावों की तारीखों काएलान हो गया,त्वरित
Read Moreसामने आ गया बहुत बड़ी मजबूरी,सच नहीं लिखना था जरूरी,उस दिन मेरे झूठे आत्मसम्मान कोपड़ गया कसकर घूंसा,पैसे वालों ने
Read Moreजिस बात का डर था आज वहीं हो गया,जीवन के आकाश से एक सितारा खो गया,जब से आया वो सीने
Read Moreपाखंडवाद को खत्म कर जानाअभी किसी के बस की बात नहीं,मदमस्त हो किस ओर जा रहेकिसी को भी आभास नहीं,उन्नति
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