।।यूरेका।।
आसमान से हर शहर वैसा ही दिखता है जैसे हर शहरी आदमी आमतौर पर लगता है सभ्य नदियाँ दिखती हैं
Read Moreआसमान से हर शहर वैसा ही दिखता है जैसे हर शहरी आदमी आमतौर पर लगता है सभ्य नदियाँ दिखती हैं
Read Moreवह आसमान से गिरा था। समुद्र में तैरते हुए उसे याद ही नहीं आया कि मौत हर वक्त उसके आस पास
Read Moreवह हर शाम आती है अकेली और उदाससुनने मेरा कोलाहलकहने अपने मन की बात हम घंटों बतियाते हैं, पागलों की तरह
Read Moreबढ़ई समझ नहीं पा रहा है उसकी संरचनाएं क्यों नहीं होती किसी कुम्हार की सुराहियों जैसी लुहार के हँसिए जैसी
Read Moreजैसे दिया जूझता है हवा के झोंके से किसान लड़ता है टिड्डियों के हमले से बच्चा निपटाना चाहता है अपना
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