मृत्यु का अघोष
अघोष करता रहा मृत्यु का अट्टहास करता रहा काल से, जब कुछ भी न बचेगा तो हे! प्रभु लीन हो
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Read Moreजागो जागो माँ रणचंडी जन जन का कल्याण करो। उठो उठो मां दक्षिणेश्वरी काली बच्चों का हाथ पकड़ अब उनको
Read Moreज़िंदगी तेरा कोई पता नहीं कब आती हो और कब चली जाती हो, लोग सोचते हैं शायद किसी का कसूर
Read Moreहे ! ईश्वर सिद्धों की वाणी में नाथों के चिमटे में योगियों के योग में देखा है मैंने तुमको हर
Read Moreतेरी राहों का अन्वेषी हूं, अकेला ही फिरता रहता हूँ, चलता रहता हूँ। कभी उधर कभी इधर तेरी यादों को
Read Moreजो आया मेरे दर पर बस कुछ न कुछ मांगने आया। पर कभी मांगा न मुझे न मांगा मेरा प्रेम
Read Moreमेरे प्रिय ईश्वर मैं तुम्हें जानता नहीं, मैंने तुम्हें कभी देखा भी नहीं है। मगर फिर भी तुम मेरी भावनाओं
Read Moreसमय न रुकता है न थकता है। बस हर पल चलता रहता है। समय के
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