कविता

काश

काश! मेरी जुबान की
कड़वाहट के पीछे
तुम मेरे हृदय की मिठास को
समझ पाते ।

काश! मेरे मुस्काते
चेहरे के पीछे
तुम मेरे हृदय में दहकती
पीड़ा को समझ पाते।

काश ! मेरे बहते हुए
अश्कों के पीछे
तुम मेरे हृदय में बसी
मेरी कोमल भावनाओं को
समझ पाते।

काश! मेरे खिलखिलाते
चेहरे के पीछे
तुम मेरे अंतर्मन की
चीखती चिल्लाहट को
समझ पाते।

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233