Author: राज किशोर मिश्र 'राज'

भजन/भावगीत

शिक्षक हैं दुनियाँ के गणपति

प्रथम नमन गणपति को करता, प्रथम पूज्य आधिकारी। माँ शारद लक्ष्मी औ गौरी, शक्ति स्वरूपा महतारी। ज्ञान शारदा भर देती

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हास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग्य : स्वर्ग में सत्ता परिवर्तन

अभी-अभी विश्वस्त सूत्रों से पता चला है, यमराज को अपदस्थ के चक्कर मे देव राज इंद्र को बड़े दुख के

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मुक्तक/दोहा

दोहा : त्रेता में कुंभज़ मिले

ज्ञान विभूषित गुरु कहाँ, खोजत फिरे दिनेश त्रेता में कुंभज़ मिले, शिक्षक बने महेश राम कथा कलि मल हरण, उपजा

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कविता

हे धरती माता पापियों को , क्यों देती तू जन्म

हे धरती माता पापियों को, क्यों देती तू जन्म खून की होली खेल रहे है जो, कैसे होगा अंत द्वापर

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