मुक्तक : फितरतबाज पड़ोसी
साँप पाल कर बना संपेरा, काला दिवस मनाता है पाक नाम नापाक इरादा, कैसे पाक कहाता है दशहत गर्दो का
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Read Moreमत्तगयन्द सवैया =वार्णिक छन्द सात भगण अंत में दो गुरू मापनी =२११ २११ २११ २११ =२११ २११ २११ २२= २३
Read Moreबारह मे से चार को, हमने दिया घटाय शेष शून्य है दो गुना, जीवित रहा न जाय बिना नीर जीवन
Read Moreकण कण मे तेरी छवि है माँ सुरभित आँगन नूर ज़मीं माँ प्रेम मृदुल उत्साह मे माँ है लाल के
Read Moreये दुख शाश्वत सनातन देव दानव धर्म सेअधर्म न्याय अन्याय कर्म ============= ये कैसी वेदना मीन नीर आकर्षण में करे
Read Moreस्वाति बूँद मोती बने , कंचन बने शरीर बूँद बूँद सागर भरे , यति गति संग समीर रहा कभी टेथीज
Read Moreधरती का शृंगार वृक्ष है धरती का शृंगार वृक्ष है काट रहे है कैसा ये दृश्य है नही बरसते मेघ
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