हिन्दी बेचारी सिसक रही, कैसे इनको गढा गया।।
नव युग के निर्माता से, नौ लिखा गया न पढ़ा गया। हिन्दी बेचारी सिसक रही, कैसे इनको गढ़ा गया।। हिन्दी
Read Moreनव युग के निर्माता से, नौ लिखा गया न पढ़ा गया। हिन्दी बेचारी सिसक रही, कैसे इनको गढ़ा गया।। हिन्दी
Read Moreमेरे भी कई जहाज पानी में चलते थे। चांद और सितारे मेरे आंगन में पलते थे।। मिट्टी के खिलौने वो,
Read Moreउलझी लटों की तरह, ए जिंदगी उलझ गई। दम भरने को ठहरे तोे, ए जिंदगी फिसल गई। अपने हाथों से
Read Moreयुवा सुघोष बने पहले, राज दिलों पर कर डाला अब मोती मेरे निखर गये, बन गई है सुन्दर माला।। नित
Read Moreऐ मौत तू इतनी खूबसूरत क्यों है, जो गया तेरा हो गया। जी भर के तुझे जो देख ले, वो
Read Moreजिन्दगी बस रेत है, फिसलती चली गयी। ठहरने की थी आरजू, निकलती चली गयी। ये हवाएं कुछ कम नही, तूफान
Read Moreजिनकी शबें अंधेरी हैं अंधकार की छाती पर, कोई एक दिया तो जला डाले। जिनके घर फाके पड़ते, कोई उनकी
Read Moreपतझड़ सी तू लगती है ये जिन्दगी। हर दिन जिन्दगी तेरा एक पत्ता टूट रहा। तेरे संग चलकर एक एक
Read Moreअपने देश में जितनी भी सरकारें बनी सभी ने महिलाओं के सम्मान के प्रति लंबा चौडा भाषण दिया चाहे वह
Read Moreवक्त की शाख पे बैठ कर, इतना इठलाना ठीक नहीं। फितरत इसकी टूटना है, तेवर को बदलना ठीक नहीं। ठोकर
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