कार्ड
वह जब से विदेश से लौटी थी।अपने कमरे में गुमसुम सी पड़ी रहती थी।उसे किसी बात का होश नहीं था।उसने
Read Moreउमा बाग में बैठी अतीत में इस तरह खो जाती थी कि उसे समय का ध्यान ही नही रहता था।
Read Moreबेटा,घर पर हवन,पूजा-पाठ करवा लो।कितनी बार कह चुकी हूँ?पर तुम सुनते ही कहाँ हो अपनी बूढ़ी माँ की बात?बेटा घर
Read Moreगंगा की याद आते ही मन पूरी तरह उचट जाता था।सभी कुछ था मेरे पास।आज तक मैं जीवन में दौड़
Read Moreसोहन दोड़ा जा रहा था। पीछे-पीछे पड़ोस की राधा मौसी उसे पुकार रही थी। बेटा सुनो!तुम्हारी माँ को अस्पताल वाले
Read Moreविवाह के लिए आए, अच्छे रिश्तों में भी कमियाँ निकल कर दिशा,मम्मी-पापा का मन दुखा देती थी।वह जब भी उसे
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