वो कनकनी के धुन्ध
वो कनकनी के धुन्ध ! मेरा रास्ता साफ करों हम नये-नये गेहूं के नव अंकुर, बच्चे के समान, तुमसे गुहार
Read Moreवो कनकनी के धुन्ध ! मेरा रास्ता साफ करों हम नये-नये गेहूं के नव अंकुर, बच्चे के समान, तुमसे गुहार
Read Moreसुबह की बेला में, जब निकलते हैं बाहर मिलते हैं लोग पथ पर, परस्पर बातें करते हुए, अग्रसर बढते हुए
Read Moreहँसता है चेहरा——–रोता है दिल। दीखता है चेहरा–नहीं आता है निद। स्वप्नमय करके—– मेरी दुनियां को, चला जाता है चेहरा——–पूछें
Read Moreआता है कोई और ———— जाता है कोई और ———— पल भर ख्वाबों में बिताकर—- लौट जाता है कोई और
Read Moreमुझे आज भी ख्याल है कि २००९-१० में सासाराम रेलवे स्टेशन से एक किलो मिटर दूर उत्तर की ओर जा
Read Moreजब किसी, मानव के अन्दर, उँचे पद की लोलुपता आ जाती है। भूल जाते हैं लोग, अपने अस्तित्व को। उतर
Read Moreकर्मनाशा नदी —- •••••••••••••••••• मेरे गाँव के बगल से गूजरी, कर्मनाशा नदी—- जब मुझे ख्याल आया, एक नदी है समझ
Read More@जीव ही जीव के चक्कर में@ •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक जीव ही जीव के चक्कर में पड़ा हुआ है। पानी के बीच
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