Author: रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

कवितापद्य साहित्य

हँसता है चेहरा •••

हँसता है चेहरा——–रोता है दिल। दीखता है चेहरा–नहीं आता है निद। स्वप्नमय करके—– मेरी दुनियां को, चला जाता है चेहरा——–पूछें

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कवितापद्य साहित्य

चित्र अभिव्यक्ति

@जीव ही जीव के चक्कर में@ •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक जीव ही जीव के चक्कर में पड़ा हुआ है। पानी के बीच

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