गज़ल
जिधर देखिये उधर ही भ्रष्टाचार हैं फिर भी कहते इसको की शिष्टाचार हैं कल तक तो पक्के दोस्त थे दोनों
Read Moreबातें कड़वी मत करें, करें सभी से प्यार तब पाओगे ही सदा, सफल सुखी संसार ऊपर से शरीफ दिखे, भीतर
Read Moreभेदभाव मन में रखें, मत कर उससे बात दूरी बनाकर रखिये, हरदम यारों तात ग़रीब रहता है सदा, रोटी से
Read Moreप्रेम रखे हैं जो यहां, उसका है सत्कार उसकी प्रतिभा का मिले, देखो ये आधार जो आदमी रहे यहां, बनकरके
Read Moreएक दूजे की मदद का, कर आदान प्रदान होवे ना इसमें कभी, कोई भी अभिमान मित्रता में न कभी चले,
Read Moreकाले धन से बित रही, जिनकी हरेक रात होती हरेक दिन वहाँ, सुख की ही बरसात मतलब के सब यार
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