गीतिका/ग़ज़ल रमेश मनोहरा 08/01/2020 गीतिका एक तरफ शंख बजे दूजी तरफ अजान है यही पुल तो कौमी एकता की पहचान है हो जाते हैं आपस Read More
गीतिका/ग़ज़ल रमेश मनोहरा 29/09/2019 ग़ज़ल लोग अधिक ही घबराये हुए हैं नदी के तट पर घर बनाये हुए हैं भीड़ में कैसे पहचानोगे उसे जबकि Read More
गीतिका/ग़ज़ल रमेश मनोहरा 27/09/201929/09/2019 ग़ज़ल सब हिसाब और किताब देखे हैं खर्च भी बेहिसाब देखे हैं फूटी कौड़ी भी नहीं है जेब में ऐसे भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल रमेश मनोहरा 20/07/2019 ग़ज़ल फिर वे अपनी दुकानें सजाने लगे हैं और भीड़ लोगों की बढ़ाने लगे हैं जिसे हाथ पकड़कर चलना सिखाया वे Read More
गीतिका/ग़ज़ल रमेश मनोहरा 20/07/2019 ग़ज़ल जो अम्लो-अमन की दुआ करते हैं वे लोग अपना हक अदा करते हैं सियासत वाले होते हैं वाचाल नाम के Read More
मुक्तक/दोहा रमेश मनोहरा 01/07/201901/07/2019 दोहे छायादार पेड़ नहीं, बोया याद बबूल अब करते हैं देश वे गलती यहाँ कबूल पैसों से बढ़कर नहीं, उनके लिए Read More
क्षणिका रमेश मनोहरा 25/06/201901/07/2019 क्षणिकायें क्रोध क्रोध जितना भी आप करेंगे श्रीमान इससे होगा खुद का नुकसान अतः भीतर के क्रोध को बाहर न आने Read More