आखिर में दिया बुझ जाएगा
आरम्भ किसी चीज़ का हुआ हैउसका अंत भी अवश्य आएगाऊंचाईयों पर कोई कब तक ठहरेगाएक न एक दिन तो नीचे
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Read Moreमौसम में यह कैसा परिवर्तन आ गयाफरवरी माह में आम पर बौर छा गयासर्दी में ही पानी के लिए हो
Read Moreअंतर्मन में चले द्वंद को किसको मैं समझाऊंसमय का खेल है सारा मैं खुद समझ न पाऊंअमिट लिखा जो भाग्य
Read Moreआ गया बसंत ऋतुओं का सरताजडाली डाली फूल लगे हैं खिलनेप्रेम रस नस नस में है बहने लगाआतुर है सजनी
Read Moreमैं हवा हूँ खुद ही बीमार हो गईजब से हर तरफ ज़हर की भरमार हो गईसुधरता कोई नहीं कचरा फैला
Read Moreकिसी और से करें क्या उम्मीदजब रक्षक ही भक्षक बन जायेवह खेत कहां सुरक्षित रहेगाजहां बाड़ ही खेत को खा
Read Moreक्या रखा है तपते मैदानों मेंघूमकर देखो कभी सुनसान वीरानों मेंकरवटें लेते रहते हो पक्की हवेलियों मेंरहकर देखो कभी कच्चे
Read Moreकैसा ज़माना आया आजआदमी क्या से क्या हो गयाजिंदा इंसानों की कद्र नहींमोबाइल में इस कदर खो गया समय नहीं
Read Moreकल खो दिया हमने आज के लिएआज खो दिया हमने कल के लिएआज की खुशी भी गंवा दी हमनेचैन फिर
Read Moreचुन कर जिसने भेजा इनकोअपनी समस्याएं हल करवाने कोकेवल मुर्गा और समोसे नजर आ रहेलालायित है फिर से सत्ता पाने
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