कदम-कदम आगेे… ।
वर्तमान कहता मुझे सुखमय जीवन का राह दिखाते हुए भूल जाओ अतीत की यादें। आइने में अपने सुंदर छवि को
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Read Moreकिसने देखा मुझे..? फटे-चीथड़ों में मनु-मरूभूमि में अधनंगे भटकता था मैं रेगिस्तान की रेत चहुँओर कड़ी धूप में भूख और
Read More।। जला देंगे..।। यही था हमारा सर्वश्रेष्ठ मध्यम मार्ग जो अनादि काल का उन्नायक जीवन एक दूसरे के साथ जिस
Read Moreएक दिन अवश्य ऐसा हो… श्रमधन का मूल्य जन मानस में दिव्य शोभा बनेगा श्रम बिंदु मोती बनकर मानवता के
Read Moreसमाज शब्द का अर्थ है – समान कार्य करनेवालों का समूह या विशेष उद्देश्य की पूर्ति केलिए संघटित संख्या। मानव
Read Moreघेरे हुए थे मुझे चारों ओर से पीड़ामय जग के सारे बादल काले अपनी अँधेरी झोंपड़ी में अकेले बैठा मैं
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