हम भूले हैं..!
हम भूले हैंं..! प्रश्न हैं कितने हमारे जीवन में अनादि से.. प्रश्न प्रश्न ही रह रहे हैं निज खोज के
Read Moreहम भूले हैंं..! प्रश्न हैं कितने हमारे जीवन में अनादि से.. प्रश्न प्रश्न ही रह रहे हैं निज खोज के
Read Moreमैं आज का ही नहीं कल का भी हूँ हजारों सालों से दबाये गये असहाय जनता का स्वर हूँ अक्षरों
Read Moreजो कुछ है इस प्रकृति में वह यहीं के है हम सभी हैं उसका अधिकारी छीननेवालों से डरना क्यों हम
Read Moreहे विश्वास ! तुम निर्दय, निर्मम धूर्त हो ! अपने पाँव के नीचे हजारों सालों से मानवता को दबाते-दबाते, अट्टहास
Read Moreसाधना के उपाय हैं, मगर साधना नहीं नीति के अमूल्य वचन हैं, तो आचरणा का नहीं शांति की बातें रटते
Read Moreवर्तमान कहता मुझे सुखमय जीवन का राह दिखाते हुए भूल जाओ अतीत की यादें। आइने में अपने सुंदर छवि को
Read Moreकिसने देखा मुझे..? फटे-चीथड़ों में मनु-मरूभूमि में अधनंगे भटकता था मैं रेगिस्तान की रेत चहुँओर कड़ी धूप में भूख और
Read More।। जला देंगे..।। यही था हमारा सर्वश्रेष्ठ मध्यम मार्ग जो अनादि काल का उन्नायक जीवन एक दूसरे के साथ जिस
Read Moreएक दिन अवश्य ऐसा हो… श्रमधन का मूल्य जन मानस में दिव्य शोभा बनेगा श्रम बिंदु मोती बनकर मानवता के
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