// यह क्यों…? //
// यह क्यों…? // दलितों की उन्नति पर व्यंगय, परिहास क्यों ? आक्रोश, जलन है नित्य आरक्षण के खिलाफ ?
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Read Moreबातें तो बहुत हैं, सीधी की हर जगह जोर की आवाज में मीठी – मीठी सुनाई दे रही हैं अपने
Read Moreसंस्कृति की आधारशिला पर विचार करने से स्पष्ट होता है कि जिस प्रकृति के द्वारा मानव को जीवन मिला एवं
Read Moreसौरभ के नहीं ये अक्षर, मैले जीवन का है । धूलि-धूसरित होते हैं, ये अभाग्यों का है ।। हंसी खुशी
Read Moreशब्दकोश के अनुसार धर्म का अर्थ है – 1. “किसी व्यक्ति केलिए निश्चित किया गया कार्य व्यापार;कर्तव्य” । 2. “किसी
Read Moreहे जीवन ! तुम मन हो ! मानसिक क्रीड़ा हो ! प्राकृतिक नियमों को कभी तिरस्कार करते हो तो कभी
Read Moreये जरूरतें हैं, हमारे बीच में एक दूसरे को मिलती बंधु – बाँधव – मित्र – शत्रु, छल,कपट सभी जीवन
Read Moreजीवन को जीतनेवाले बहुत कम लोग होते हैं। उनमें डॉ.जयप्रकाश कर्दम जी का नाम आदर के साथ लिया जाता है।
Read Moreमैं मनुष्य हूँ मेरा भी जीवन है मानवता का है विचार मेरा अच्छे समाज की परिकल्पना में आगे बढ़ना मैं
Read Moreहम भूले हैंं..! प्रश्न हैं कितने हमारे जीवन में अनादि से.. प्रश्न प्रश्न ही रह रहे हैं निज खोज के
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