कविता

प्रकृति की तालीम

अकेला कोई नहीं जी सकता
इस दुनिया में
एक दूसरे के सहयोग से ही
बनती है जिंदगी
समूहिक चेतना का सम्मिलित
सूक्ष्म तत्त्व है जिंदगी
अपना – पराये की भावना,
एक दूसरे का मोरचा
असमानता का यह भेद
अमानवीयता का व्यवहार
क्यों घुस गयी है मनुष्य के अंदर
कैसे बना है यह मानव जीव
वर्ण, जाति का रूपांतर,
धरती के जीव – जीव का
प्रकृति हमें परिचय कराती है
इस दुनिया में कोई भी प्राणी
ऊँच या नीच नहीं है
हरेक का अपनी अलग विशेषता है,
एक दूसरे के सहारे
अंतिम लक्ष्य की ओर
सफल यात्री बन जाने का
इस धरती के कण – कण में
समता – ममता भरने का
सीख देती है हमें यह सुंदर प्रकृति ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।