कुकुभ छंद गीत : नारी तुम्हें नमन
जिसके बिन जीवन मे तम है ,दीप वही प्रकाशित नारी घर -आँगन जो सुरभित करती ,सुमन सुशोभित वह क्यारी। त्याग
Read Moreजिसके बिन जीवन मे तम है ,दीप वही प्रकाशित नारी घर -आँगन जो सुरभित करती ,सुमन सुशोभित वह क्यारी। त्याग
Read Moreविनती सुनो प्रभु पातकी की ,भय क्षरण मम कीजिये । निष्काम मेरी प्रार्थना प्रभु ,रख पगों में लीजिये । तुलसी
Read Moreडम डम डम शिव डमरू बाजे, तीन लोक करते जयकार । पार्वती के प्रीतम प्यारे , जग के हो
Read Moreदुग्ध पिलाकर अपने उर का ,आँचल बीच समा लेती हो । अपने हाथों से सहलाकर, मन की थकन मिटा देती
Read Moreप्रेम कि बात छिपावत मोहन ,हाय हिया अकुलाय रहे । रीझ गयी सुन तान हरी जब,सुंदर गीत सुनाय रहे ।
Read Moreओढ़ निराशा का आँचल जो, क्रंदन को मजबूर हुई। विवश उसी भारत माता की, व्यथा सुनाने आयी हूँ। छंद लिखें
Read Moreस्वर की लहरी पर मंद मंद , सागर की लहरें गीत गुनें । उठ- उठ गिर-गिर मद में बहकर ,जाने
Read Moreआशा की स्वर्णिम किरणें फिर ,लायी नवल प्रभात । अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।। रंग
Read Moreजो करें भंग शांति देश की , मत करना सम्मान । संदिग्धो का पता लगाकर ,चूर करो अभिमान । जो
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