कविता
तुम काबिल बनो इतने कि ढलती उम्र के तकाज़ों में तुम गर्व का अनुभव करो। जो सपने तुम्हारी आँखें देखें,
Read Moreक्या होगा यदि किसी को उपेक्षित किया जाये हर बार? पहली बार में सूखेंगे आँसू उसके, दूसरी बार में वेदना
Read Moreनयन मे चाहे चारों पहर नीर बहे, याद रहे कि वह नीर किसी को ना दिखे। जीवन तुम्हारे चरित्र से
Read Moreस्त्री जब अकेली पड़ जाती है, तब हो जाती है और भी अधिक कठोर। इतनी कठोर कि कोई भी उसके
Read Moreमन जब अन्तर्द्वन्द से घिर जाये, तब हार न जायें जीवन में। हार न जायें जीवन में। कोयल सी वाणी
Read Moreअब तुम आए हो..? जब प्रेम ही ना रहा शेष जो दृग देखते हैं, ऊपर ऊपर हरा भरा पुष्पित पल्लवित
Read More