थक गई हूँ मैं
बहुत थक गयी हूँ इस युग के शहर,गाँव गलियों में घुमते घुमते … तुम मुझे अपनी जटाओ के जंगल में
Read Moreबहुत थक गयी हूँ इस युग के शहर,गाँव गलियों में घुमते घुमते … तुम मुझे अपनी जटाओ के जंगल में
Read Moreतुझे पता हैं तू चाँद है और मैं काली रात हूँ मेरा वजूद तुझे पूर्ण करता हैं तू मेरे वजूद
Read Moreरेजा रेजा बिखरती कतरा कतरा दुःस्वप्नों के भंवर में फंसती बिस्तर की सिलवटों में रेंगते अजगर कटेगी कैसे जिन्दगी
Read Moreयाद की शक्ल कभी पहचानी नहीं होती… किस लम्हे में किसकी याद आये इसका भी कोई गणितीय फ़ॉर्मूला नहीं है…
Read Moreदिल कभी दरिया नही होते दिल तो मॉस की मुट्ठी ना चप्पू ना कश्ती कोई ना कोई कील किनारे होते
Read Moreये हैं महज़ एक ख्याल पर मैंने रूह से महसूस किया ज़िंदगी खूबसूरत हैं चलो आज कुछ पल ज़िंदगी को
Read Moreजब भी बैठी कुछ लिखने आया बस तेरा ही ख्याल … “और क्या लिखूं तुझ पर?” फिर वही सवाल …
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