“बहारों के चार पल”
मुश्किल हैं जिन्दगी में गुजारों के चार पल मुमकिन नहीं हसीन नजारों के चार पल बेमौसमी बरसात कहर बनके बरसती
Read Moreमुश्किल हैं जिन्दगी में गुजारों के चार पल मुमकिन नहीं हसीन नजारों के चार पल बेमौसमी बरसात कहर बनके बरसती
Read Moreगर्मी का मौसम है आया। आड़ू और खुमानी लाया।। आलूचा है या कहो बुखारा। काला-काला कितना प्यारा।। खट्टे-मीठे और रसीले।
Read Moreजो शिव-शंकर को भाती है बेल वही तो कहलाती है तापमान जब बढ़ता जाता पारा ऊपर चढ़ता जाता अनल भास्कर
Read Moreखुदा की आजकल, सच्ची इबादत कौन करता है बिना मतलब ज़ईफों से, मुहब्बत कौन करता है शहादत दी जिन्होंने, देश
Read Moreजब सूरज यौवन में भरकर अनल धरा पर बरसाता है। लाल अँगारा रूप बनाकर, तब गुलमोहर लुभाता है।। मुस्काता है
Read More“हँसता गाता बचपन” की भूमिका और शीर्षक गीत — हँसता-खिलता जैसा, इन प्यारे सुमनों का मन है। गुब्बारों सा नाजुक,
Read Moreसूरज ने है रूप दिखाया। गर्मी ने तन-मन झुलसाया।। धरती जलती तापमान से। आग बरसती आसमान से।। लेकिन है भगवान
Read Moreजब-जब आती मस्त बयारें, तब-तब हम लहराते हैं। काँटों की पहरेदारी में, गीत खुशी के गाते हैं।। हमसे ही अनुराग-प्यार
Read Moreरंग-गुलाल साथ में लाया। होली का मौसम अब आया। पिचकारी फिर से आई हैं, बच्चों के मन को भाई हैं,
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