“जनता जपती मन्त्र”
सात दशक में भी नहीं, आया कुछ बदलाव। खाते माल हराम का, अब भी ऊदबिलाव।। चाहे धरती पर रहें, कैसे
Read Moreसात दशक में भी नहीं, आया कुछ बदलाव। खाते माल हराम का, अब भी ऊदबिलाव।। चाहे धरती पर रहें, कैसे
Read Moreसुख का सूरज नहीं गगन में। कुहरा पसरा है गुलशन में।। पाला पड़ता, शीत बरसता, सर्दी में है बदन ठिठुरता,
Read Moreमम्मी देखो मेरी डॉल। खेल रही है यह तो बॉल।। पढ़ना-लिखना इसे न आता। खेल-खेलना बहुत सुहाता।। कॉपी-पुस्तक इसे दिलाना।
Read Moreमैं तुमको गुरगल कहता हूँ, लेकिन तुम हो मैना जैसी। तुम गाती हो कर्कश सुर में, क्या मैना होती है
Read Moreकाले रंग का चतुर-चपल, पंछी है सबसे न्यारा। डाली पर बैठा कौओं का, जोड़ा कितना प्यारा। नजर घुमाकर देख रहे
Read Moreभैंस हमारी बहुत निराली। खाकर करती रोज जुगाली।। इसका बच्चा बहुत सलोना। प्यारा सा है एक खिलौना।। बाबा जी इसको
Read Moreसारे जग से न्यारा मामा। सब बच्चों का प्यारा मामा।। नभ में कैसा दमक रहा है। चन्दा कितना चमक रहा
Read Moreइस दीवाली पर माटी के, आओ दीप जलायें हम। चीनी लड़ियाँ-झालर अपने, घर में कभी न लायें हम।। आओ स्वच्छता
Read Moreजब होगा अपने भारत में, उन्नत-सबल किसान। तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।। भ्रष्टाचारी जब खेतों में, कंकरीट नहीं
Read Moreमहक रहा है मन का आँगन, दबी हुई कस्तूरी होगी। दिल की बात नहीं कह पाये, कुछ तो बात जरूरी
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