“सेना का अपमान”
कभी न हारे जंग में, अपने सैनिक वीर। शासन का रुख देखकर, सेना हुई अधीर।। — घर से रहकर दूर
Read Moreकभी न हारे जंग में, अपने सैनिक वीर। शासन का रुख देखकर, सेना हुई अधीर।। — घर से रहकर दूर
Read Moreवो मजे में चूर हैं, बस इसलिए मग़रूर हैं हम मजे से दूर हैं, बस इसलिए मजदूर हैं आज भी
Read Moreसुख के बादल कभी न बरसे, दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं! जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत फैले हैं!! अनजाने से
Read Moreखाली कभी न बैठिए, करते रहिए काम। लिखने-पढ़ने से सदा, होगा जग में नाम।। — खाली रहे दिमाग तो, मन
Read Moreज़ज़्बात के बिन, ग़ज़ल हो गयी क्या बिना दिल के पिघले, ग़ज़ल हो गयी क्या नहीं कोई मक़सद, नहीं सिलसिला
Read Moreअमलतास के पीले गजरे, झूमर से लहराते हैं। लू के गर्म थपेड़े खाकर भी, हँसते-मुस्काते हैं।। ये मौसम की मार,
Read Moreअपना धर्म निभाओगे कब जग को राह दिखाओगे कब अभिनव कोई गीत बनाओ, घूम-घूमकर उसे सुनाओ स्नेह-सुधा की धार बहाओ
Read Moreहो गया मौसम गरम, सूरज अनल बरसा रहा। गुलमोहर के पादपों का, “रूप” सबको भा रहा।। दर्द-औ-ग़म अपना छुपा, हँसते
Read Moreसभी तरह की निकलती, बातों में से बात। बातें देतीं हैं बता, इंसानी औकात।। — माप नहीं सकते कभी, बातों
Read Moreशून्य में दुनिया समायी, शून्य से संसार है। शून्य ही विज्ञान का अभिप्राण है आधार है।। शून्य से ही नाद
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