मन की बेताबी
जैसे किसी अजनबी ने बिखेर दिया हो सुर्ख गुलाबों की पंखुडियां सुबह की किरणें पहुँच चुकी है मन के आंगन
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Read Moreफ़ेसबूक …..मानव मन के अभिव्यक्ति का अनुपम संसार ,जहां कल के लिए कुछ भी नहीं टाला जाता है जैसे ही
Read Moreमाँ की कोख में अनगिनत सपने संजोय हुए दुनियाँ के घृणित सोच से बेखबर जब पता चलता है ,, जन्म
Read Moreबेटी हूँ मैं धरती का सौंदर्य और हरित प्रकृति हूँ मैं दहेज के दानवों से लेकिन , आज विचलित
Read Moreबिखरा हुआ , इधर उधर भटकता एक ख्वाब ढूँढता है खुद की पहचान ….. अच्छा लगता है , खुद को
Read Moreवक्त -बेवक्त तुम्हारी दुवाओं का असर हो रहा है तुम्हारे होने का असर, चारो पहर हो रहा है……. चुप रहकर
Read Moreएक मौन, जो समाया है मेरे अंतर्मन में यूं ही कभी चित्कारता है और तुम्हारे आसपास होने की साजिश करता
Read Moreएक प्यार भरा उपहार ,लिफाफे में बंद एक ऐसा हस्तलिखित कागज,जिसके हर शव्द क्षण भर में सारी दुख तकलीफ़ें छू
Read Moreवर्तमान संस्कृति ने सम्पूर्ण दुनिया की रुपरेखा ही बदल डाली है | आज के युग में सबके लिए सबकुछ उपलब्ध
Read Moreखिलेंगे फूल कभी अपनी भी बगिया में बिखरेंगी खुशबू बनकर सुखद एहसास निकलेगी धूप भी धून्ध से छँटकर एक दिन
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