Author: संकलित

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

उपासना

ओ३म् भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः भद्रपश्येमाक्षभिर्यजत्राः। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवाँ सस्तनुभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः॥ यजु० २५।२१ स्तुति किसकी करनी चाहिए और क्यों करनी चाहिए,

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