स्वास्थ्य

तरबूज़

तरबूज को संस्कृत में कालिदंम्  कहते हैं।  यह नाम इसे कालिंदी नदी के किनारे बहुतायत में होने के कारण मिला है। अब कालिंदी नदी कौन सी नदी है  तो कालिंदी यह यमुना का परंपरागत प्राचीन नाम है। जो हिमालय के कालिदं पर्वत से निकलने के कारण इसे मिला है। यही संस्कृत भाषा की विलक्षणता है शब्दो मे पुर्वापर  कुछ वर्णों के भेद से समउच्चारित लेकिन क्रमिक  भिन्नार्थक शब्द असंख्य नाम हमे मिल जाते हैं। बात तरबूज फल की करें तो यह भी अपने आप में विलक्षण फल है  गर्मी के मौसम में इससे उत्तम कोई फल हो ही नहीं सकता। औरंगजेब के काल में दिल्ली में  पेशे से चिकित्सक फ्रांसीसी यात्री बर्नियर आया था। वह अपने यात्रा संस्मरण मे लिखता है।

“मैंने दुनिया की अनेक नदियों के किनारे उगने वाले तरबूज खाएं यहां तक कि भारत में भी अनेक नदियों के किनारे चाहे दक्षिण की नदी हो या पश्चिम  की नदियां हो लेकिन जो मिठास स्वाद दिल्ली में यमुना के किनारे उत्पन्न  तरबूज में है वह मुझे कहीं नहीं मिला मैंने दिल्ली की धूल भरी गर्मी में प्रत्येक चौक चौराहे पर बड़े-बड़े पौष्टिक तरबूज को करीने से सजा हुआ पाया है। उस समय की दिल्ली का वर्णन  करते हुए बर्नियर आगे लिखता है। बादशाह मुसलमान है लेकिन अधिकांश प्रजा हिंदू है जो मांस भक्षण नहीं करती। मैं मांस भक्षण के लिए मुसलमान बादशाह के द्वारा बसाये हुए एक नगर में गया जहा अधिकांश लोग मुसलमान है । मैने देखा वहां गंदगी के कारण बुरा हाल था मांस से दुर्गंध आ रही थी जैसा स्वच्छ मांस यूरोप में मिलता है मुझे ऐसा मांस नहीं मिला ऐसे में मैंने मांस भक्षण का अपना संकल्प कुछ दिन के लिए त्याग दिया मैंने केवल तरबूज का ही सेवन किया। मेरा स्वास्थ्य उत्तम हो गया।मेरी यात्रा से जनित दीर्घकालीन  थकान छूमंतर हो गई।”

तरबूज बेहद  बलवर्धक वात पित्त कफ नाशक फल है। मूत्र संस्थान रक्त विकार फैटी-लीवर जैसो रोगो में रामबाण असर करता है। प्राकृतिक चिकित्सा में असाध्य पेट चर्म रोगों से पीड़ित रोगियों को 21 दिन का तरबूज कल्प कराया जाता है जिसमें केवल सुबह दोपहर शाम तरबूज़ ही खिलाया जाता है सीमित मात्रा में नापतोल कर। बेहद गुणकारी होता है यह तरबूज कल्प। जितना गुणकारी तरबूज होता है उतने ही गुणकारी इसके बीज होते हैं । तरबूज के फल में बीज का समान वितरण भी इसी बात का सूचक है। तरबूज के बीजों को चबाकर सेवन किया जा सकता है या  भूनकर भी खाया जा सकता है। तरबूज का बीज पोटेशियम मैग्नीशियम जिंक  जैसे समृद्ध मिनरल का स्रोत होता है । तरबूज के बीच  हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क के रोग, प्रजनन संस्थान के रोगों में बेहद गुणकारी है. तरबूज के बीज का रेशा आंतों को भी साफ रखता है ऐसे में तरबूज के साथ-साथ इसके बीजों को भी चबाकर खाना चाहिए। ऋतु चक्र में प्रकृति हमारी शरीर की जरूरत के हिसाब से भिन्न-भिन्न फल हमें देती रहती है बस हमें केवल  उपयोग लेना आना चाहिए हम ऐसा करते हैं तो हम  व्याधियों, वैद्य, डॉक्टरों से बचकर रहेंगे।